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एक धुँदला सा सितारा भी बहुत होता है | शाही शायरी
ek dhundla sa sitara bhi bahut hota hai

ग़ज़ल

एक धुँदला सा सितारा भी बहुत होता है

नसीम शाहजहाँपुरी

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एक धुँदला सा सितारा भी बहुत होता है
शब-ए-ग़म में ये सहारा भी बहुत होता है

गर्दिश-ए-वक़्त पे क्या है मिरी बर्बादी में
हाथ दर-पर्दा तुम्हारा भी बहुत होता है

बे-क़रारान-ए-मोहब्बत की तसल्ली के लिए
उन का अदना सा इशारा भी बहुत होता है

क्यूँ मैं तूफ़ान ओ तलातुम की पनाहें ढूँडूँ
डूबने को तो किनारा भी बहुत होता है

डूबने वाले को दरिया-ए-मोहब्बत में 'नसीम'
एक तिनके का सहारा भी बहुत होता है