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एहतियात ऐ दिल-ए-नादाँ वो ज़माने न रहे | शाही शायरी
ehtiyat ai dil-e-nadan wo zamane na rahe

ग़ज़ल

एहतियात ऐ दिल-ए-नादाँ वो ज़माने न रहे

हसन आबिद

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एहतियात ऐ दिल-ए-नादाँ वो ज़माने न रहे
तेरे उश्शाक़ तिरे चाहने वाले न रहे

जिन से क़ाएम थी तिरी शोख़-निगाही की अदा
रंग-ए-महफ़िल वो जुनूँ-ख़ेज़ इशारे न रहे

ऐ गुल-ए-शोख़-अदा तुझ को ख़बर है कि नहीं
जो मुहाफ़िज़ थे तिरे अब वही काँटे न रहे

हम जिन्हें हम-सफ़र-ए-राह-ए-वफ़ा जानते थे
क्या बताएँ कि वही लोग हमारे न रहे

सुब्ह से शाम तलक बारिश-ए-अनवार रही
रात आई तो इन आँखों में सितारे न रहे