डूबते तारों से पूछो न क़मर से पूछो
क़िस्सा-ए-रुख़्सत-ए-शब शम-ए-सहर से पूछो
किस ने बहलाया ख़िज़ाँ को गुल-ए-तर से पूछो
गुल पे क्या गुज़री बहारों के जिगर से पूछो
कौन रोया पस-ए-दीवार-ए-चमन आख़िर-ए-शब
क्यूँ सबा लौट गई राहगुज़र से पूछो
रात भर दीप सर-ए-राह जले किस के लिए
क्यूँ अँधेरा था भरे घर में क़मर से पूछो
किस के दामन से लगी निकहत-ए-गुल रोती है
कौन होता है जुदा जी के नगर से पूछो
एक आवाज़ तो गूँजी थी उफ़ुक़-ता-ब-उफ़ुक़
कारवाँ गुम है कहाँ गर्द-ए-सफ़र से पूछो
ग़ज़ल
डूबते तारों से पूछो न क़मर से पूछो
अनवर मोअज़्ज़म