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डूबने वाला क्या न कर डूबे | शाही शायरी
Dubne wala kya na kar Dube

ग़ज़ल

डूबने वाला क्या न कर डूबे

शफ़क़ सुपुरी

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डूबने वाला क्या न कर डूबे
हाथ ऊपर करे तो सर डूबे

दीदा-ओ-आरिज़ ओ लब-ओ-अबरू
आँसुओं में सभी नगर डूबे

ख़ून की सैल है बचाऊँ क्या
आँख की सोचूँ तो जिगर डूबे

किस को मालूम है ख़बर किस को
आज की रात किस का घर डूबे

साहिलों पर है कुछ भँवर में कुछ
कुछ मिरी तरह पार उतर डूबे