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दुश्मन जवानियों की ये आश्नाइयाँ हैं | शाही शायरी
dushman jawaniyon ki ye aashnaiyan hain

ग़ज़ल

दुश्मन जवानियों की ये आश्नाइयाँ हैं

चराग़ हसन हसरत

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दुश्मन जवानियों की ये आश्नाइयाँ हैं
इन आश्नाइयों में क्या क्या बुराइयाँ हैं

'हसरत' कहो कि किस से आँखें लड़ाइयाँ हैं
होंटों पे सर्द आहें मुँह पे हवाईयाँ हैं

या दिल-सितानियाँ थीं और मेहरबानियाँ थीं
या कज-अदाइयाँ हैं या बेवफ़ाइयाँ हैं

क़िस्मत की क्या शिकायत तक़दीर का गिला क्या
जितनी बुराइयाँ हैं दिल की बुराइयाँ हैं