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दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए | शाही शायरी
duniya mein kitne rang nazar aaenge nae

ग़ज़ल

दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए

हसन अकबर कमाल

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दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए
हों दीद के अमल में अगर ज़ाविए नए

चेहरा भी आँसुओं से तर-ओ-ताज़ा हो गया
बारिश के बा'द सब्ज़ा-ओ-गुल भी हुए नए

बदली है ये ज़मीं कि मिरी आँख वो नहीं
बेगाना शहर-ओ-दश्त हैं और रास्ते नए

उस को बदल गया नशा-ए-ख़ुद-सुपुर्दगी
मानूस ख़ाल-ओ-ख़द मुझे यकसर लगे नए

सब से जुदा हैं गर मिरे नौ-ज़ाईदा ख़याल
जिस ने दिए ख़याल वो अल्फ़ाज़ दे नए