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दुनिया को हर चीज़ दिखाई जा सकती है | शाही शायरी
duniya ko har chiz dikhai ja sakti hai

ग़ज़ल

दुनिया को हर चीज़ दिखाई जा सकती है

रेनू नय्यर

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दुनिया को हर चीज़ दिखाई जा सकती है
पत्थर में भी आँख बनाई जा सकती है

दिल की मिट्टी की ज़रख़ेज़ी ऐसी है कि
कैसी भी हो चीज़ उगाई जा सकती है

हिज्र का मौसम वो मौसम है जिस में जानाँ
आँखों में भी रात बिताई जा सकती है

पत्थर को ठोकर की हद तक तुम न जानो
पत्थर से तो आग लगाई जा सकती है

ख़ुद के होने का एहसास दिलाता है वो
इस डर से के उस की ख़ुदाई जा सकती है

दिल की बाज़ी ऐसी बाज़ी है जिस में हम
हारें भी तो जीत मनाई जा सकती है

मुझ को सारे नक़्श अधूरे दिखते हैं अब
या'नी मुझ पे गाज गिराई जा सकती है