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दुनिया के जंजाल न पूछ | शाही शायरी
duniya ke janjal na puchh

ग़ज़ल

दुनिया के जंजाल न पूछ

अज़ीज़ अन्सारी

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दुनिया के जंजाल न पूछ
तुझ बिन मेरा हाल न पूछ

किस ने लिया सर आँखों पर
किस ने किया पामाल न पूछ

उस की आँखों को तू पढ़
क्यूँ है चेहरा लाल न पूछ

बिखर गया रेज़ा रेज़ा
जीवन का भौंचाल न पूछ

मुस्तक़बिल के सपने देख
बीते माह-ओ-साल न पूछ

तू जो चाहे हुक्म सुना
मुझ से मिरे आ'माल न पूछ

'मीर' के घर की हालत देख
मेरे घर का हाल न पूछ

जिस ने बचाया ख़ंजर से
किस की थी वो ढाल न पूछ

कैसे दें बच्चों को 'अज़ीज़'
सब्ज़ी रोटी दाल न पूछ