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दुनिया का है उजाला पत्थर | शाही शायरी
duniya ka hai ujala patthar

ग़ज़ल

दुनिया का है उजाला पत्थर

मेहदी जाफ़र

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दुनिया का है उजाला पत्थर
यज़्दाँ तेरा काला पत्थर

चोटी तक जिस ने पहुँचाया
उस को देख सँभाला पत्थर

मुँह तक अब ले जाना कठिन है
बन जाता है निवाला पत्थर

तितली आन के उस पर बैठे
फूल बने है साला पत्थर

कुछ तो था मुझ में जब उस ने
मेरी सम्त उछाला पत्थर

लाल-ओ-गुहर बाज़ार को दे दे
घर के लिए बच्चा ला पत्थर

जब्र जो ख़ैर से उलझा समझा
इल्ला ख़ुदा था बना ला पत्थर

मेरा तो इक रंग बदन है
उन के लिए है जियाला पत्थर

उस के बिना था जीना कैसा
वो न मिला तो कहा ला पत्थर