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दुनिया है तेज़ धूप समुंदर है जैसे तू | शाही शायरी
duniya hai tez dhup samundar hai jaise tu

ग़ज़ल

दुनिया है तेज़ धूप समुंदर है जैसे तू

जावेद नासिर

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दुनिया है तेज़ धूप समुंदर है जैसे तू
बस एक साँस और कि मंज़र है जैसे तू

ये और बात है कि बहुत मुक़्तदिर हूँ मैं
है दस्तरस में कोई तो पल भर है जैसे तू

बस चलते चलते मुझ को बदन की रविश मिली
वर्ना ये सर्द शाम भी पत्थर है जैसे तू

क्या जाने किस सदी का तकल्लुफ़ है दरमियाँ
ये रोज़ ओ शब की धूल ही बेहतर है जैसे तू