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दुहाई है तिरी तू ले ख़बर ओ ला-मकाँ वाले | शाही शायरी
duhai hai teri tu le KHabar o la-makan wale

ग़ज़ल

दुहाई है तिरी तू ले ख़बर ओ ला-मकाँ वाले

क़मर जलालवी

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दुहाई है तिरी तू ले ख़बर ओ ला-मकाँ वाले
चमन में रो रहे हैं आशियाँ को आशियाँ वाले

भटक सकते नहीं अब कारवाँ से कारवाँ वाले
निशानी हर क़दम पर देते जाते हैं निशाँ वाले

क़यामत है हमारा घर हमारे ही लिए ज़िंदाँ
रहें पाबंद हो कर आशियाँ में आशियाँ वाले

मिरे सय्याद का अल्लाहु-अकबर रो'ब कितना है
क़फ़स में भी ज़बाँ को बंद रखते हैं ज़बाँ वाले

यही कमज़ोरियाँ अपनी रहें तो ऐ 'क़मर' इक दिन
मकानों में भी अपने रह नहीं सकते मकाँ वाले