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दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा | शाही शायरी
doston ke hu-ba-hu paikar ka andaza laga

ग़ज़ल

दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा

इक़बाल नवेद

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दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा
एक पत्थर के बदन पर काँच का चेहरा लगा

देखने वाली निगाहों में अगर तज़हीक है
कौन कहता था भरे बाज़ार में मेला लगा

ख़्वाहिशों के पेड़ से गिरते हुए पत्ते न चुन
ज़िंदगी के सेहन में उम्मीद का पौदा लगा

तेरे अंदर की ख़िज़ाँ मायूस कर देगी तुझे
खिड़कियों में फूल रख दीवार पर सब्ज़ा लगा

वक़्त हर दुख का मसीहा हो नहीं सकता 'नवेद'
ज़ख़्म अपने दिल पे मत एहसास का गहरा लगा