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दोस्तो ज़िंदगी अमानत है | शाही शायरी
dosto zindagi amanat hai

ग़ज़ल

दोस्तो ज़िंदगी अमानत है

अब्दुल मन्नान समदी

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दोस्तो ज़िंदगी अमानत है
साँस लेना भी इक इबादत है

वो कहाँ हैं हमें नहीं मा'लूम
जिन को इंसान से मोहब्बत है

साफ़ कहने में शर्म कैसी है
आप को हम से क्या शिकायत है

सुब्ह ता शाम एक हंगामा
मिलने जुल्ने की किस को फ़ुर्सत है

हाल अहवाल क्या बताएँ हम
कोई तकलीफ़ है न राहत है