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दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं | शाही शायरी
din mein pariyan kyun aati hain

ग़ज़ल

दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं

मोहम्मद अल्वी

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दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं
ऐसी घड़ियाँ क्यूँ आती हैं

अपना घर आने से पहले
इतनी गलियाँ क्यूँ आती हैं

बाहर किस का डर लगता है
घर में चिड़ियाँ क्यूँ आती हैं

दिन क्यूँ नंगे हो जाते हैं
रातें उर्यां क्यूँ आती हैं

शेर में उल्टी सीधी बातें
बोल मिरी जाँ क्यूँ आती हैं

'अल्वी' क़ब्रों तक जाने में
भूल-भुलय्याँ क्यूँ आती हैं