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दिलों में ख़ार लबों पर गिला मिलेगा मुझे | शाही शायरी
dilon mein Khaar labon par gila milega mujhe

ग़ज़ल

दिलों में ख़ार लबों पर गिला मिलेगा मुझे

नज़्मी सिकंदराबादी

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दिलों में ख़ार लबों पर गिला मिलेगा मुझे
ख़फ़ा रहेगा ज़माना तो क्या मिलेगा मुझे

ये क्या ख़बर थी मुलाक़ात उन से होगी अगर
नज़र से ता-ब-नज़र फ़ासला मिलेगा मुझे

तिलिस्म-ए-तीरगी-ए-शब कहीं तो टूटेगा
कोई चराग़ कहीं तो जला मिलेगा मुझे

बहार-ए-बाग़-ए-तमन्ना कोई तो देखेगा
कभी तो दिल में कोई झाँकता मिलेगा मुझे

ज़माना होगा तिरे साथ रह-गुज़र में जहाँ
मिटा मिटा सा तिरा नक़्श-ए-पा मिलेगा मुझे

डरेंगे लोग वफ़ा के ख़याल से 'नज़मी'
मिरी वफ़ाओं का जिस दिन सिला मिलेगा मुझे