दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
नज़रों में लगा लड़ने बिस्मिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
ख़ंजर से मिज़ा के ये सब सीना किया ज़ख़्मी
कुछ बस ही नहीं चलता घायल का ख़ुदा-हाफ़िज़
किस तरह कोई जीते नादाँ से पड़ा पाला
बे-तरह की ख़्वारी है आक़िल का ख़ुदा-हाफ़िज़
ग़ैरों से चबाता है यारों से बचाता है
छूते ही मचलता है चंचल का ख़ुदा-हाफ़िज़
अपनी ही वो कहता है पर और की नहीं सुनता
हर इक से उलझता है जाहिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
शह-ए-गुल की ख़बर आई आता है लिए लश्कर
गुलशन में पड़ी खल-बल बुलबुल का ख़ुदा-हाफ़िज़
मैं तुझ को न कहता था मत 'नैन' बुतों से मिल
दिल दे के हुआ रुस्वा बे-दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
ग़ज़ल
दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
नैन सुख