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दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़ | शाही शायरी
dildar hua na-KHush ab dil ka KHuda-hafiz

ग़ज़ल

दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़

नैन सुख

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दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
नज़रों में लगा लड़ने बिस्मिल का ख़ुदा-हाफ़िज़

ख़ंजर से मिज़ा के ये सब सीना किया ज़ख़्मी
कुछ बस ही नहीं चलता घायल का ख़ुदा-हाफ़िज़

किस तरह कोई जीते नादाँ से पड़ा पाला
बे-तरह की ख़्वारी है आक़िल का ख़ुदा-हाफ़िज़

ग़ैरों से चबाता है यारों से बचाता है
छूते ही मचलता है चंचल का ख़ुदा-हाफ़िज़

अपनी ही वो कहता है पर और की नहीं सुनता
हर इक से उलझता है जाहिल का ख़ुदा-हाफ़िज़

शह-ए-गुल की ख़बर आई आता है लिए लश्कर
गुलशन में पड़ी खल-बल बुलबुल का ख़ुदा-हाफ़िज़

मैं तुझ को न कहता था मत 'नैन' बुतों से मिल
दिल दे के हुआ रुस्वा बे-दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़