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दिलबर कूँ इताब ख़ूब है ख़ूब | शाही शायरी
dilbar kun itab KHub hai KHub

ग़ज़ल

दिलबर कूँ इताब ख़ूब है ख़ूब

दाऊद औरंगाबादी

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दिलबर कूँ इताब ख़ूब है ख़ूब
उश्शाक़ कूँ ताब ख़ूब है ख़ूब

तहसील-ए-उलूम-ए-इश्क़ करने
तुझ मुख की किताब ख़ूब है ख़ूब

नीं तेरे अरक़ मिसाल-ए-ख़ुशबू
हर चंद गुलाब ख़ूब है ख़ूब

जिऊँ मतला-ए-आफ़्ताब-ए-ताबाँ
तुझ मुख पे नक़ाब ख़ूब है ख़ूब

उश्शाक़ अगर है महरम-ए-राज़
दिलबर कूँ हिजाब ख़ूब है ख़ूब

ला साग़र-ए-मय शिताब साक़ी
बारान-ए-सहाब ख़ूब है ख़ूब

'दाऊद' अपस सूँ होते बेहोश
आशिक़ कूँ शराब ख़ूब है ख़ूब