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दिल टूटा तो क्या से क्या नुक़सान हुआ | शाही शायरी
dil TuTa to kya se kya nuqsan hua

ग़ज़ल

दिल टूटा तो क्या से क्या नुक़सान हुआ

आरिफ़ इशतियाक़

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दिल टूटा तो क्या से क्या नुक़सान हुआ
यक-दम मुझ में नाज़िल इक शैतान हुआ

ये फ़ितरत है और फ़ितरत का मतलब है
जिस ने पहले मारा वो भगवान हुआ

सच बोला था मैं ने तुम ने झूट सुना
मुझ पे तुम और मैं तुम पे हैरान हुआ

बैअ'त नहीं की हम ने ऊँचे नामों की
पर जो लिक्खा सब का सब फ़रमान हुआ

भीड़ लगी थी रंग-बिरंगे नामों की
फिर मेरी बे-रंगी का एलान हुआ