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दिल था दूल्हा, दुनिया दुल्हन | शाही शायरी
dil tha dulha, duniya dulhan

ग़ज़ल

दिल था दूल्हा, दुनिया दुल्हन

ख़ालिद मुबश्शिर

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दिल था दूल्हा, दुनिया दुल्हन
पहली ही शब में हो गई अन-बन

मैं मुरलीधर, मैं मन-मोहन
तू है राधा, तू है पदमन

मैं हूँ साधू, तू है आसन
मैं हूँ सपेरा, तू है नागन

मन है झेलम, तन सुन्दरवन
तू कशमीरन, तू बंगालन

मेरा तेरा कैसा बंधन
मैं टूटा दिल, तू है धड़कन

तुझ से ज़र्रा ज़र्रा रौशन
तेरी ख़ुशबू गुलशन गुलशन

चंदा जैसा मुखड़ा तेरा
दरिया दरिया तेरा जोबन

तुझ को देखूँ, ख़ुद को देखूँ
तू है जैसे कोई दर्पन

तितली, जुगनू, तोता, मैना
याद आता है अपना बचपन