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दिल था बे-कैफ़ मोहब्बत की ख़ता से पहले | शाही शायरी
dil tha be-kaif mohabbat ki KHata se pahle

ग़ज़ल

दिल था बे-कैफ़ मोहब्बत की ख़ता से पहले

दानिश फ़राही

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दिल था बे-कैफ़ मोहब्बत की ख़ता से पहले
लुत्फ़ ऐसा नहीं आया था सज़ा से पहले

हाए अंदाज़-ए-मोहब्बत भी अजब था उन का
कर रहे थे वो जफ़ा मुझ पे वफ़ा से पहले

किस क़दर तेरी दुआओं में असर था ऐ दोस्त
हो गया हूँ मैं सेहत-याब दवा से पहले

क्या बताऊँ तुझे हमदम कि था अबतर कितना
हाल मेरा तिरे दामन की हवा से पहले

बात ये मेरी ज़रा ग़ौर से सुन लो 'दानिश'
काम करना न कोई नाम-ए-ख़ुदा से पहले