दिल-ओ-जाँ के फ़साने क्या हुए सब
मोहब्बत के तराने क्या हुए सब
यहाँ कुछ सूफ़ियों का घर था पहले
वो उन के आस्ताने क्या हुए सब
पुराना पेड़ बरगद का कहाँ है
परिंदों के ठिकाने क्या हुए सब
कहाँ हैं शहर के बे-फ़िक्र बच्चे
मसर्रत के ख़ज़ाने क्या हुए सब
बरसती थी मोहब्बत आसमाँ से
वो बारिश के ज़माने क्या हुए सब
तिरे अशआ'र पर ये चुप सी क्यूँ है
'नज़र' तेरे दिवाने क्या हुए सब
ग़ज़ल
दिल-ओ-जाँ के फ़साने क्या हुए सब
बदनाम नज़र