दिल ने ठोकर खा के समझा हादसा क्या चीज़ है
ग़म किसे कहते हैं दर्द-ए-ला-दवा क्या चीज़ है
महव-ए-हैरत हूँ ये दुनिया से जुदा क्या चीज़ है
आप का पैग़ाम बे-हर्फ़-ओ-सदा क्या चीज़ है
इस के मा'नी ख़ुद-पसंदी के सिवा कुछ भी नहीं
दिल में पैहम ख़्वाहिश-ए-दाद-ए-वफ़ा क्या चीज़ है
अब अँधेरा ही अँधेरा है उफ़ुक़-ता-ब-उफ़ुक़
इस हक़ीक़त में ख़िलाफ़-ए-माजरा क्या चीज़ है
कुफ़्र है ये सोचना भी कारोबार-ए-इश्क़ में
मुद्दआ' क्या शय है तर्क-ए-मुद्दआ क्या चीज़ है
सर है ज़ेब-ए-दार लेकिन लब तबस्सुम-आश्ना
हक़-नवाई पर मैं ख़ुश हूँ ये सज़ा क्या चीज़ है
कार-आराई-ए-सई-ए-शौक़ है पेश-ए-नज़र
वर्ना सोचो जुम्बिश-ए-पर्दा-कुशा क्या चीज़ है
हम रज़ा-ए-दोस्त में राज़ी हैं ये सच है तो फिर
देखना होगा कि दस्तूर-ए-दुआ क्या चीज़ है
रफ़्ता रफ़्ता तुम पे सब कुछ आइना हो जाएगा
क्या बताऊँ सई-ए-तर्क-ए-मुद्दआ' क्या चीज़ है
जल्वा-गाह-ए-नाज़ से उठना कोई आसाँ नहीं
पहले ये देखो यहाँ ज़ंजीर-ए-पा क्या चीज़ है
जिन की फ़ितरत ना-शनास-ए-ज़ौक़-ए-मोहकम है 'उरूज'
मैं उन्हें ये कैसे समझाऊँ वफ़ा क्या चीज़ है

ग़ज़ल
दिल ने ठोकर खा के समझा हादसा क्या चीज़ है
उरूज ज़ैदी बदायूनी