दिल ने इक आह भरी आँख में आँसू आए 
याद ग़म के हमें कुछ और भी पहलू आए 
ज़ुल्मत-ए-शब में है रू-पोश निशान-ए-मंज़िल 
अब मुझे राह दिखाने कोई जुगनू आए 
दिल का हर ज़ख़्म तिरी याद का इक फूल बने 
मेरे पैराहन-ए-जाँ से तिरी ख़ुशबू आए 
तिश्ना-कामों की कहीं प्यास बुझा करती है 
दश्त को छोड़ के अब कौन लब-ए-जू आए 
एक परछाईं तसव्वुर की मिरे साथ रहे 
मैं तुझे भूलूँ मगर याद मुझे तू आए 
मैं यही आस लिए ग़म की कड़ी धूप में हूँ 
दिल के सहरा में तिरे प्यार का आहू आए 
दिल परेशान है 'गुलनार' तो माहौल उदास 
अब ज़रूरत है कोई मुतरिब-ए-ख़ुश-ख़ू आए
        ग़ज़ल
दिल ने इक आह भरी आँख में आँसू आए
गुलनार आफ़रीन

