दिल ने एक एक दुख सहा तन्हा
अंजुमन अंजुमन रहा तन्हा
ढलते सायों में तेरे कूचे से
कोई गुज़रा है बार-हा तन्हा
तेरी आहट क़दम क़दम और मैं
इस मअय्यत में भी रहा तन्हा
कहना यादों के बर्फ़-ज़ारों से
एक आँसू बहा बहा तन्हा
डूबते साहिलों के मोड़ पे दिल
इक खंडर सा रहा सहा तन्हा
गूँजता रह गया ख़लाओं में
वक़्त का एक क़हक़हा तन्हा
ग़ज़ल
दिल ने एक एक दुख सहा तन्हा
मजीद अमजद