दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया
आतिश-ए-ख़ामोश की मानिंद गोया जल गया
in passion's hidden heat my heart, did choose to bravely burn
like fire silent and unseen, to ashes it did turn
दिल में ज़ौक़-ए-वस्ल ओ याद-ए-यार तक बाक़ी नहीं
आग इस घर में लगी ऐसी कि जो था जल गया
neither the yen for union nor her thoughts this heart retained
for such a blaze consumed this house, burnt all that it contained
मैं अदम से भी परे हूँ वर्ना ग़ाफ़िल बार-हा
मेरी आह-ए-आतिशीं से बाल-ए-अन्क़ा जल गया
Ye ignorant! beyond the state of nothingness I've turned
else by my fiery sighs the feathers of the phoenix burned
अर्ज़ कीजे जौहर-ए-अंदेशा की गर्मी कहाँ
कुछ ख़याल आया था वहशत का कि सहरा जल गया
my flaming intensity of thought to whom can I narrate
just thinking of the desert caused, it to incinerate
दिल नहीं तुझ को दिखाता वर्ना दाग़ों की बहार
इस चराग़ाँ का करूँ क्या कार-फ़रमा जल गया
my heart's no more, my burning scars, else I would show to you
the lamp itself is charred now with , these lights what do I do
मैं हूँ और अफ़्सुर्दगी की आरज़ू 'ग़ालिब' कि दिल
देख कर तर्ज़-ए-तपाक-ए-अहल-ए-दुनिया जल गया
now I exist alone just with hope of melancholy
because my heart is seared by people's insincerity
ख़ानमान-ए-आशिक़ाँ दुकान-ए-आतिश-बाज़ है
शोला-रू जब हो गए गर्म-ए-तमाशा जल गया
ता कुजा अफ़सोस-ए-गरमी-हा-ए-सोहबत ऐ ख़याल
दिल बा-सोज़-ए-आतिश-ए-दाग़-ए-तमन्ना जल गया
है 'असद' बेगाना-ए-अफ़्सुर्दगी ऐ बेकसी
दिल ज़-अंदाज़-ए-तपाक-ए-अहल-ए-दुनिया जल गया
दूद मेरा सुंबुलिस्ताँ से करे है हम-सरी
बस-कि शौक़-ए-आतिश-गुल से सरापा जल गया
शम्अ-रूयाँ की सर-अंगुश्त-ए-हिनाई देख कर
ग़ुंचा-ए-गुल पर-फ़िशाँ परवाना-आसा जल गया
ग़ज़ल
दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गया
मिर्ज़ा ग़ालिब