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दिल में तुझ को शुमार कर लूँ मैं | शाही शायरी
dil mein tujhko shumar kar lun main

ग़ज़ल

दिल में तुझ को शुमार कर लूँ मैं

फ़ैज़ जौनपूरी

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दिल में तुझ को शुमार कर लूँ मैं
हो इजाज़त तो प्यार कर लूँ मैं

इस ख़िज़ाँ को समेट लो तुम तो
मौसम-ए-ख़ुश-गवार कर लूँ मैं

इश्क़ अगर जुर्म है तो जुर्म-ए-सनम
बे-सबब बे-शुमार कर लूँ मैं

तुम ने वा'दा किया है आने का
दो घड़ी इंतिज़ार कर लूँ मैं

सारी दुनिया को जीत लूँ पल में
तुझ पे गर इफ़्तिख़ार कर लूँ मैं

हाथ हासिल से फिर मिलाऊँगा
पहले दरिया तो पार कर लूँ मैं

क्या मुलाक़ात फिर कभी होगी
या उसे यादगार कर लूँ मैं