दिल में तिरे ऐ निगार क्या है
होता नहीं हम-कनार क्या है
आया जो दम वो है ग़नीमत
इस ज़ीस्त का ए'तिबार क्या है
हैं सेब से भी वो छातियाँ सख़्त
आगे उन के अनार क्या है
दुनिया के ये सब ढकोसले हैं
तुर्बत कैसी मज़ार क्या है
ताऊस से छेड़-छाड़ कैसी
हाँ ऐ दिल-ए-दाग़-दार क्या है
जो जो वो रंज दें उठाओ
जब दिल ही दिया तो आर क्या है
मैं चाहता हूँ उसे न चाहूँ
दिल पर मिरा इख़्तियार क्या है
मिज़्गाँ का है मिरे दिल में खटका
ऐ ख़ुशबू-ए-नोक-ए-ख़ार क्या है
मिट्टी मिरी ख़ाक में मिलाई
मुझ से उन को ग़ुबार क्या है
दौड़ूँ तो मुझे सबा न पाए
पैदल कैसा सवार क्या है
बोसे की तलब कि वस्ल का ज़िक्र
फ़रमाइए नागवार क्या है
है क्या 'आग़ा' तड़प रहा है
क्यूँ कहते हो बार बार क्या है
ग़ज़ल
दिल में तिरे ऐ निगार क्या है
आग़ा अकबराबादी