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दिल में रहना है परेशान ख़यालों का हुजूम | शाही शायरी
dil mein rahna hai pareshan KHayalon ka hujum

ग़ज़ल

दिल में रहना है परेशान ख़यालों का हुजूम

साइब आसमी

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दिल में रहना है परेशान ख़यालों का हुजूम
और आँखों में क़यामत का समाँ रहता है

इश्क़ के राज़ को जितना में निहाँ रखता हूँ
ख़ामुशी से मिरी उतना ही अयाँ रहता है

रोता रहता हूँ किसी ग़म-ज़दा के रोने पर
और दिल-ए-मरकज़-ए-आलाम जहाँ रहता है

रिफ़अत-ए-फ़िक्र है हासिल मुझे उल्फ़त के तुफ़ैल
जो न ये हो तो कहाँ हुस्न-ए-बयाँ रहता है

लाला-कारी का सलीक़ा भी निगह को आया
आँसुओं की जगह अब ख़ून रवाँ रहता है

कश्ती-ए-ज़ीस्त है गिर्दाब-ए-बला में 'साइब'
आज-कल नाम-ए-ख़ुदा विर्द-ए-ज़बाँ रहता है