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दिल में ख़ूँ और आँख में पानी बहुत | शाही शायरी
dil mein KHun aur aankh mein pani bahut

ग़ज़ल

दिल में ख़ूँ और आँख में पानी बहुत

शबनम शकील

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दिल में ख़ूँ और आँख में पानी बहुत
एक थोड़ी सी परेशानी बहुत

चुप रहें तो दिल सरापा इज़्तिराब
बात करने में पशेमानी बहुत

देखे-भाले रास्ते ग़म के तमाम
दिल की गलियाँ जानी-पहचानी बहुत

उस के जैसे होंगे लेकिन वो कहाँ
नक़्श-ए-अव्वल एक और सानी बहुत

हम कहाँ होते थे ख़ुद को दस्तियाब
खल रही है अब ये अर्ज़ानी बहुत

किस तरह रखते हम आख़िर जाँ अज़ीज़
दिल किया करता था मन-मानी बहुत

उस से क्या बे-क़द्र-दानी का गिला
हम ने क़द्र अपनी कहाँ जानी बहुत

ख़ुद उसे 'शबनम' बनाते हैं मुहाल
देखते हैं जिस में आसानी बहुत