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दिल में ख़याल-ए-यार है जासूस की नमत | शाही शायरी
dil mein KHayal-e-yar hai jasus ki namat

ग़ज़ल

दिल में ख़याल-ए-यार है जासूस की नमत

दाऊद औरंगाबादी

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दिल में ख़याल-ए-यार है जासूस की नमत
रखता हूँ इस कूँ नंग सूँ नामूस की नमत

वीराँ है सीना बस-कि तिरे बाज ऐ सनम
फ़रियाद-ए-दिल है नग़्मा-ए-नाक़ूस की नमत

उस रश्क-ए-महर पास पहुँचने का शौक़ है
इस वास्ते अँझूँ हैं मिरे ऊस की नमत

इस फ़स्ल-ए-नौ-बहार में बे-बादा-ए-ग़ुरूर
हर बुल-हवस है रंग में ताऊस की नमत

उस शम्अ-रू के इश्क़ में 'दाऊद' गल सकल
तन हो रहा है पर्दा-ए-फ़ानूस की नमत