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दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले | शाही शायरी
dil mein hai kya azab kahe to pata chale

ग़ज़ल

दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले

अातिश इंदौरी

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दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले
दीवार ख़ामोशी की ढहे तो पता चले

सब कुछ ही बाँटने को चली आती क्यूँ नदी
उस की तरह से कोई बहे तो पता चले

बेटे तू जानता नहीं है माँ की अहमियत
माँ की तरह तू दर्द सहे तो पता चले

कैसे बताए कोई जियो कैसे ज़िंदगी
तू पंछियों के साथ रहे तो पता चले

पीने को पानी भी न हो रोटी की बात क्या
नेता-जी भूक तू यूँ सहे तो पता चले