दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले
दीवार ख़ामोशी की ढहे तो पता चले
सब कुछ ही बाँटने को चली आती क्यूँ नदी
उस की तरह से कोई बहे तो पता चले
बेटे तू जानता नहीं है माँ की अहमियत
माँ की तरह तू दर्द सहे तो पता चले
कैसे बताए कोई जियो कैसे ज़िंदगी
तू पंछियों के साथ रहे तो पता चले
पीने को पानी भी न हो रोटी की बात क्या
नेता-जी भूक तू यूँ सहे तो पता चले
ग़ज़ल
दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले
अातिश इंदौरी