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दिल ले के हसीनों ने ये दस्तूर निकाला | शाही शायरी
dil le ke hasinon ne ye dastur nikala

ग़ज़ल

दिल ले के हसीनों ने ये दस्तूर निकाला

मुज़्तर ख़ैराबादी

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दिल ले के हसीनों ने ये दस्तूर निकाला
दिल जिस का लिया उस को बहुत दूर निकाला

ज़ाहिद को किसी और की बातें नहीं आतीं
आया तो वही तज़किरा-ए-हूर निकाला

दुश्मन को अयादत के लिए यार ने भेजा
अच्छा ये इलाज-ए-दिल-ए-रंजूर निकाला

ऐ तीर-ए-सितम चल तिरी दावत है मिरे घर
ज़ख़्म-ए-दिल-ए-नाशाद ने अंकूर निकाला

वो तज़्किरा-ए-ग़ैर पे झुँझला के ये बोले
फिर आप ने 'मुज़्तर' वही मज़कूर निकाला