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दिल ले के हमारा फिरता है ये कौन वतीरा तेरा है | शाही शायरी
dil le ke hamara phirta hai ye kaun watira tera hai

ग़ज़ल

दिल ले के हमारा फिरता है ये कौन वतीरा तेरा है

मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम

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दिल ले के हमारा फिरता है ये कौन वतीरा तेरा है
करता है छिछोरी बातें क्यूँ हर बात में तेरा मेरा है

तुम चेहरा अपना दिखला दो कुछ राह-ए-ख़लासी बतला दो
इक ज़ुल्फ़ का सौदा सर में है इक काली बला ने घेरा है

इस आने की क्या मुझ को ख़ुशी पाबंदी इस में काहे की
भूले से इधर भी आ निकले इक जोगी का सा फेरा है

हम आप हैं एक बला-ए-बद क्या हम से करेगा कोई कद
अग़्यार करें हम से काविश मुँह हम को सारा तेरा है

हम जान से अपनी जाते हैं पर दिल से ये जाता ही नहीं
इस इश्क़ का होवे बुरा 'अंजुम' क्या इस ने डाला डेरा है