दिल कोई फूल नहीं और सितारा भी नहीं
कार-ए-दुनिया का नहीं और तुम्हारा भी नहीं
हम किसी सम्त चलें राह लगें खो जाएँ
राह-ए-गुम-गश्ता हैं सो ऐसा इशारा भी नहीं
हम को तो वस्ल के क़ाबिल नहीं जाना तुम ने
हम चले जाएँ कहीं तुम को गवारा भी नहीं
ना-रसाई ने अजब तौर सिखाए हैं 'अता'
यानी भूले भी नहीं तुम को पुकारा भी नहीं
ग़ज़ल
दिल कोई फूल नहीं और सितारा भी नहीं
अहमद अता