दिल को कोसो जो चाहता है
मैं ने क्या आप का लिया है
क्या हँसते हो मेरे रोने पर तुम
दिल का आना बुरी बला है
जितना चाहो जलाओ हम को
तुम भी कितने हो देखना है
माशूक़ मनाएँ तुम को 'जौहर'
ये भी इक क़ुदरत-ए-ख़ुदा है
ग़ज़ल
दिल को कोसो जो चाहता है
लाला माधव राम जौहर