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दिल को हाल-ए-क़रार में देखा | शाही शायरी
dil ko haal-e-qarar mein dekha

ग़ज़ल

दिल को हाल-ए-क़रार में देखा

मुनीर नियाज़ी

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दिल को हाल-ए-क़रार में देखा
ये करिश्मा बहार में देखा

जिस को चाहा ख़ुमार में चाहा
जिस को देखा ग़ुबार में देखा

ख़्वाहिशों को बहुत हवा देना
वस्फ़ ये हम ने यार में देखा

इक बशर में कई बशर देखे
जुज़-ओ-कुल के हिसार में देखा

जब से देखा है इस ज़मीं को 'मुनीर'
क़ैद-ए-लैल-ओ-नहार में देखा