EN اردو
दिल को दार-उस-सुरूर कहते हैं | शाही शायरी
dil ko dar-us-surur kahte hain

ग़ज़ल

दिल को दार-उस-सुरूर कहते हैं

ज़हीर देहलवी

;

दिल को दार-उस-सुरूर कहते हैं
जल्वा-गाह-ए-हुज़ूर कहते हैं

न कहें बा-वफ़ा मुझे मुँह से
हाँ वो दिल में ज़रूर कहते हैं

वो मुझे और कुछ कहें न कहें
शेफ़्ता तो ज़रूर कहते हैं

इक ख़ुदाई कहा करे क़हहार
हम तो उस को ग़फ़ूर कहते हैं

पी के देखी भी हज़रत-ए-वाइज़
आप जिस को तुहूर कहते हैं