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दिल की ये आग बुझा दी किस ने | शाही शायरी
dil ki ye aag bujha di kis ne

ग़ज़ल

दिल की ये आग बुझा दी किस ने

फ़र्रुख़ जाफ़री

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दिल की ये आग बुझा दी किस ने
भीगे दामन की हवा दी किस ने

बैठ जाता था मैं जिस से लग कर
वही दीवार गिरा दी किस ने

मेरी आवाज़ पे बोला न कोई
चल पड़ा मैं तो सदा दी किस ने

अब तकानों का सफ़र है मैं हूँ
आँख से नींद उड़ा दी किस ने

अपने ही हाथ से 'फ़र्रुख़' मुझ को
ज़हर पीने की सज़ा दी किस ने