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दिल की लगी रह जाएगी | शाही शायरी
dil ki lagi rah jaegi

ग़ज़ल

दिल की लगी रह जाएगी

मुग़नी तबस्सुम

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दिल की लगी रह जाएगी
कोई कमी रह जाएगी

शोले तो बुझ जाएँगे
आग दबी रह जाएगी

सूखे पत्ते बिखरेंगे
शाख़ हरी रह जाएगी

आईने खो जाएँगे
हैरानी रह जाएगी

दरवाज़े चुप साधेंगे
आहट सी रह जाएगी

दर्द के फैले सायों में
तन्हाई रह जाएगी

वक़्त ठहर सा जाएगा
रात आधी रह जाएगी