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दिल की बाज़ी लगा के देख लिया | शाही शायरी
dil ki bazi laga ke dekh liya

ग़ज़ल

दिल की बाज़ी लगा के देख लिया

अरुण कुमार आर्य

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दिल की बाज़ी लगा के देख लिया
ज़िंदगी को लुटा के देख लिया

बेवफ़ाई का दर्द कैसा है
उन को अपना बना के देख लिया

राह आसाँ नहीं है उल्फ़त की
पाँव हम ने बढ़ा के देख लिया

है कसक कितनी दिल लगाने में
दिल की दुनिया बसा के देख लिया

क्या हक़ीक़त है ज़िंदगी की 'अरुण'
नाज़ उन के उठा के देख लिया