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दिल के दाग़ों में सितारों की चमक बाक़ी है | शाही शायरी
dil ke daghon mein sitaron ki chamak baqi hai

ग़ज़ल

दिल के दाग़ों में सितारों की चमक बाक़ी है

नूर बिजनौरी

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दिल के दाग़ों में सितारों की चमक बाक़ी है
शब-ए-फ़ुर्क़त अभी दो-चार पलक बाक़ी है

सुर्ख़ होंटों के दिए ज़ेहन में रौशन हैं अभी
अभी अफ़्कार में ज़ुल्फ़ों की महक बाक़ी है

बाज़ुओं में तिरे पैकर की लताफ़त रक़्साँ
उँगलियों में तिरी बाहोँ की लचक बाक़ी है

क़स्र-ए-परवेज़ में गुम हो गई शीरीं की सदा
दामन-ए-कोह में तेशे की धमक बाक़ी है

सरसर-ए-जौर ने हर-चंद ख़िज़ाँ बिखराई
फूल में आग शगूफ़ों में लहक बाक़ी है

गुल खिलाएगी अभी और न जाने क्या क्या
ये जो पहलू में महकती सी कसक बाक़ी है