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दिल के अंदर चलो तो अच्छा है | शाही शायरी
dil ke andar chalo to achchha hai

ग़ज़ल

दिल के अंदर चलो तो अच्छा है

नूर एन साहिर

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दिल के अंदर चलो तो अच्छा है
तुम मिरे घर चलो तो अच्छा है

एक अर्से से क़ैद हो घर में
आज बाहर चलो तो अच्छा है

दर-ब-दर कब तलक फिरोगे तुम
आओ अब घर चलो तो अच्छा है

आसमानों पे क्या चलोगे तुम
इस ज़मीं पर चलो तो अच्छा है

कह रहा है सुलगता सूरज 'नूर'
छाता ले कर चलो तो अच्छा है