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दिल जो तेशा-ज़नी पे माइल है | शाही शायरी
dil jo tesha-zani pe mail hai

ग़ज़ल

दिल जो तेशा-ज़नी पे माइल है

बिल्क़ीस ख़ान

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दिल जो तेशा-ज़नी पे माइल है
कुछ न कुछ रास्ते में हाइल है

तू जो हैरत-ज़दा नहीं होता
तू मिरी गुफ़्तुगू का क़ाइल है

मैं मुसाफ़िर हूँ कोहना रस्मों की
मेरे आगे रह-ए-क़बाइल है

क्या सुनाऊँ मैं हाल-ए-दिल कि ये दिल
तेरी कज-फ़हमियों से घायल है

रक़्स करता है हर्फ़ हर्फ़ मिरा
मेरे लहजे में कौन पाइल है

मेरे पैरों को डसने वाला साँप
मेरी गर्दन में क्यूँ हमाइल है