दिल हो गया फफूला प्यारे तमाम जल के
क्या तुझ निहाल से हों उम्मीद-वार फल के
तन्हा न दिल मिरे ने ज़ुल्फ़ों से ताब खाया
गुलशन के बीज सुम्बुल खाता है ताब बल के
ऐसे तिरे झमकते दाँतों को देख प्यारे
पानी हो जाए मोती मारे न क्यूँ कि झलके
क्या जानता था मुझ को रुस्वा करेंगे सब में
ये तिफ़्ल-ए-अश्क मेरे आँखों के बीच पल के

ग़ज़ल
दिल हो गया फफूला प्यारे तमाम जल के
मीर सज्जाद