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दिल हमारा हो गया वीरान सहरा की तरह | शाही शायरी
dil hamara ho gaya viran sahra ki tarah

ग़ज़ल

दिल हमारा हो गया वीरान सहरा की तरह

आयुष चराग़

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दिल हमारा हो गया वीरान सहरा की तरह
मर गया प्यासा यहाँ हर ख़्वाब चिड़िया की तरह

इस का अपनी ही रवानी पर नहीं है इख़्तियार
ज़िंदगी शिव की जटाओं में है गंगा की तरह

हर मुक़दमा दे रहा है जिस्म पर कोड़े हज़ार
मैं अदालत में रखा हूँ पाक गीता की तरह

या तो कोई चाहने वाला यहाँ मेरा न हो
और कोई हो तो हो राधा या मीरा की तरह

ज़िंदगी मेरी अब उस की क़ब्र में महफ़ूज़ है
वो जो मेरे दिल में रहता है तमन्ना की तरह

एक दिन मुमकिन है मैं इस्लाम का चेहरा बनूँ
दरमियाँ लोगों के हूँ फ़िलहाल चर्चा की तरह

दाग़ हैं जान-ओ-जिगर में दिल बना है आग से
'मीर' हूँ पर हैं मिरे अशआ'र 'सौदा' की तरह