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दिल है पलकों में सिमट आता है आँसू की तरह | शाही शायरी
dil hai palkon mein simaT aata hai aansu ki tarah

ग़ज़ल

दिल है पलकों में सिमट आता है आँसू की तरह

तनवीर अहमद अल्वी

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दिल है पलकों में सिमट आता है आँसू की तरह
रेशमी रात की भीगी हुई ख़ुशबू की तरह

ज़िंदगी आज है यादों के तआक़ुब में रवाँ
रेत के टीलों पे गर्द-ए-रम-ए-आहू की तरह

आन की आन में तारीख़ बदल जाती है
शिकन-ए-ज़ुल्फ़ की सूरत ख़म-ए-अबरू की तरह

तौलने के लिए फूलों की तराज़ू भी तो हो
फ़िक्र ओ एहसास भी तुल जाते हैं ख़ुशबू की तरह

शहर-ए-अफ़सोस में अपने हैं न बेगाने हैं
अब दिल ओ जाँ के भी रिश्ते हैं मन-ओ-तू की तरह

बिजलियाँ हैं कि चमकती हैं रग-ए-जाँ के क़रीब
जाम-ए-सहबा की तरह हल्क़ा-ए-गेसू की तरह

तेरी यादों की कहानी तो नहीं है 'तनवीर'
दिल पे दस्तक जो दिया करता है ख़ुशबू की तरह