दिल है बीमार क्या करे कोई
किस तरह से दवा करे कोई
जब कि तुम बिन कहीं क़रार न हो
फिर बताओ कि क्या करे कोई
वो न अपनी रविश को बदलेंगे
चाहे जो कुछ कहा करे कोई
ताक़तों ने मिरी जवाब दिया
अब बताओ कि क्या करे कोई
बढ़ती जाती हैं धड़कनें दिल की
आ भी जाए ख़ुदा करे कोई
उन को फ़ुर्सत कहाँ सँवरने से
अब जिए या मरा करे कोई
जब तअल्लुक़ न कोई बाक़ी हो
किस तरह से वफ़ा करे कोई
सब ये तक़दीर के करिश्मे हैं
क्या किसी से गिला करे कोई
हम तो तालिब नहीं वफ़ाओं के
काश हम से जफ़ा करे कोई
फिर 'ज़की' दिल को ये तमन्ना है
हम से नाज़-ओ-अदा करे कोई
ग़ज़ल
दिल है बीमार क्या करे कोई
ज़की काकोरवी