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दिल है बेताब नज़र खोई हुई लगती है | शाही शायरी
dil hai betab nazar khoi hui lagti hai

ग़ज़ल

दिल है बेताब नज़र खोई हुई लगती है

तिलक राज पारस

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दिल है बेताब नज़र खोई हुई लगती है
ज़िंदगी दुख में बहुत रोई हुई लगती है

तुझ को सोचों तिरी ताअत में रहूँ तो मुझ को
ख़ुशबुओं से ये ज़मीं धोई हुई लगती है

साँस लेते ही धुआँ दिल में उतर जाता है
आग सी शय यहाँ कुछ बोई हुई लगती है

सामने हश्र नज़र आता है लेकिन दुनिया
ख़्वाब-ए-ग़फ़लत में अभी सोई हुई लगती है

सब ज़फ़र-याब हुए अपने सफ़र में 'पारस'
मेरी मंज़िल ही फ़क़त खोई हुई लगती है