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दिल है अपना तो ग़म पराए हैं | शाही शायरी
dil hai apna to gham parae hain

ग़ज़ल

दिल है अपना तो ग़म पराए हैं

दिल अय्यूबी

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दिल है अपना तो ग़म पराए हैं
हाए क्या क्या फ़रेब खाए हैं

तार अश्कों का किस तरह टूटे
हम भी इक बार मुस्कुराए हैं

तकिया था ज़ाद-ए-राह पर अपना
राहज़न कितने काम आए हैं

मैं ये समझा था हम-सफ़र होंगे
आह कितने मुहीब साए हैं

भूल बैठे हूँ वो कहीं ऐ दिल
आज क्यूँ इतने याद आए हैं