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दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का | शाही शायरी
dil dhaDakta hai ki tu yar hai saudai ka

ग़ज़ल

दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

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दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का
तेरे मजनूँ को कहाँ पास है रुस्वाई का

बर्ग-ए-गुल से भी कम अब कोह-ए-ग़म उस ने जाना
ये भरोसा तो न था दिल की तवानाई का

कीजिए चाक गरेबाँ को बहार आई है
ज़िक्र बे-लुत्फ़ है याँ सब्र ओ शकेबाई का

सर्व साबित-क़दम इस वास्ते गुलशन में रहा
नहीं देखा कभी जल्वा तिरी रानाई का

ज़ोर मंज़ूर-ए-नज़र तो तू 'फ़ुग़ाँ' रखता है
मैं तो बंदा हूँ तिरी चश्म की बीनाई का